कल चिट्ठा पोस्ट करने लगा तो देखा कि वह १११ चिट्ठा था. देख कर अचरज भी हुआ, खुशी भी. सिर्फ छः महीने पहले भी ऐसा सोचना कि मैं यह कर सकता हूँ, नामुमकिन था.
जब भी यात्रा पर न हूँ तो हर रोज कुछ न कुछ अवश्य लिखूँगा, ऐसा सोचा था. पर शुरु शुरु में एक एक शब्द लिखने में इतनी देर लगती थी कि व्यस्त जिंदगी में इतना समय एक "शौक" के लिए निकालना आसान नहीं लगता था. यह सोचता था कि क्या लिखूँगा? और हिंदी तो भूलने सी लगी थी, सोचता अंग्रेजी या इतालवी में था फिर उसके अर्थ हिंदी में सोचता और अक्सर, हिंदी में अर्थ याद ही नहीं आते थे.
आज कीबोर्ड पर हिंदी लिखने में काफी तेजी आ गयी है. आज भी कभी कभी कोई शब्द ढ़ूँढ़ने के लिए शब्दावली निकाल कर देखनी पड़ती है, पर हिंदी लिखते समय हिंदी में ही सोचता हूँ. और लिखने के विषय के लिए कोई न कोई विचार हर रोज सुबह आ ही जाता है.
ऐसा कब तक चलेगा, मालूम नहीं. हो सकता है कि एक दिन क्मप्यूटर की सफेद स्क्रीन के सामने बैठा रह जाऊँ और कुछ समझ न आये कि क्या लिखूँ. पर आज तो यही सोच कर खुशी हो रही है कि इतने दूर आ गये हम.
आप सब पढ़ने वालों को और आवश्यकता पड़ने पर सहायता करने वालों को धन्यवाद.
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कल मुझे एक रेडियो पर साक्षात्कार के लिए बुलाया गया. किसी वेलेंतीना से टेलीफोन पर बात हुई थी. बोलोनिया का एक प्राईवेट रेडियो स्टेश्न है आस्तेरिस्को और उनका एक प्रोग्राम है जिसमें वह इटली में बसे प्रवासियों से परिचय करवाते हैं. रेडियो स्टेश्न पहुँचा तो पाया कि वह रेडियो स्टेश्न चलाने वाले को मैं बहुत पहले से जानता था. कामेरुन से आये फाऊस्तेन से मेरी मुलाकात कई साल पहले हुई थी जब वह अफ्रीका की संस्कृति के बारे में एक प्रदर्शनी तैयार कर रहे थे. उनकी पत्नी सरेना हमारे दफ्तर में ट्रेनिंग के लिए कुछ समय तक आती थीं.
फाऊस्तेन ने यह रेडियों प्रवासियों के लिए ही बनाया है और इसका उद्देश्य है विदेशों से आये प्रवासियों को अपनी संस्कृति, विचारों और कठिनाईयों के बारे में बात करने का मौका देना और उनकी इटली के समाज में समन्वय हो कर रहने में सहायता करना. ऐसी बातों से पैसे कमाना आसान नहीं पर वह अपने प्रोग्राम पूरे इटली में विभिन्न रेडियों स्टेश्नों को देते हैं और विभिन्न शहरों की सरकारें इन प्रोग्रामों को स्पोन्सर करती हैं. फ्राँस में हुए प्रवासियों के दंगों की बात सोच कर, शायद भविष्य में फाऊस्तिन के रेडियो को और भी स्पोन्सर मिलेंगे.
फाऊस्तेन ने मुझे इस रेडियो पर १ दिसंबर से एक नियमित प्रोग्राम करने के लिए कहा है. इसे वह "रेडियो ब्लाग" या रेलाग का नाम दे रहें हैं. सोमवार से शुक्रवार, हर रोज एक पाँच मिनट का ब्लाग. रोज रेडियो स्टेश्न जाना मेरे बस की बात नहीं पर एक बार जा कर दोतीन हफ्तों के लिए एक साथ ही रिकार्डिंग हो जायेगी. आस्तेरिस्को रेडियो अंतरजाल पर भी सुना जा सकता है, हालाँकि मेरा कार्यक्रम केवल इतालवी भाषा में होगा.
आज की तस्वीरों में फाऊस्तेन अपने परिवार के साथ और उनकी अफ्रीका प्रदर्शनी से एक पैनल:
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बधाई हो, सुनील भाई।
जवाब देंहटाएंआप दिनो दिन इसी तरह से ब्लॉगिंग करते रहे और नित नयी ऊँचाइयों को छूते रहें।
बधाई हो सुनिल भाई,
जवाब देंहटाएं'रेलाग' अच्छा शब्द है.
Mubarak ho suneil..
जवाब देंहटाएंMain dekhna chah raha tha ki hindi mein kaise type karte hain.
बधाई ब्लॉगिंग में शतक मार कर अंधाधुंध बैटिंग करते जाने के लिए! और रेलॉगिंग में पारी की शुरुआत करने के लिए शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंदोहरे शतक में और भी कम समय लगे इस शुभकामना के साथ पहले शतक और रेडियो जॉकी बनने के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंशशि सिंह
http;//bhojpuri.blogspot.com
http://mumbaiblogs.blogspot.com