शुक्रवार, फ़रवरी 23, 2007

मानव और रोबोट

मैं एक बार पहले भी केनेडा के श्री ग्रेगोर वोलब्रिंग के बारे में लिख चुका हूँ. ग्रेगोर विकलाँग हैं, पहिये वाली कुर्सी से चलते हैं और कलगारी विश्वविद्यालय में जीव-रसायन विज्ञान पढ़ाते हैं. वह अंतरजाल पर "इंवोशन वाच" नाम के पृष्ठ पर नियमित रूप से लिखते भी हैं. उनके शोध का विषय है नयी उभरने वाली तकनीकों के बारे में विमर्श. उनसे पिछले वर्ष जेनेवा में विश्व स्वास्थ्य संस्थान की एक सभा में मुलाकात हुई थी.

ग्रेगोर से बात करो तो लगता है कि आसिमोव जैसे किसी लेखक की विज्ञान-उपन्यास (science fiction) पर बात हो रही हो, वह सब बातें सच नहीं कल्पना लगतीं हैं. पर ग्रेगोर का कहना है कि जिस भविष्य की वह बात करते हैं वह करीब है और इन दिनों में गढ़ा रचा जा रहा है. वह कहते हैं कि उस नये भविष्य का हमारे समाज पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और इसलिए आवश्यक है कि हम सब लोग उसमें दिलचस्पी लें, उसके बारे में जाने, उस पर विमर्श करें.

अपने नये लेख में ग्रगोर ने लिखा हैः

मानव संज्ञा और मस्तिष्क को क्मप्यूटर जैसे किसी अन्य उपकरण पर चढ़ाना संभव हो जायेगा जिससे वह शरीर पर उम्र के प्रभाव से बचे रहेंगे. हालाँकि इस तरह के आविष्कार से अभी हम बहुत दूर हैं पर इसकी बात हो रही है. दिमाग रखने वाली मशीनों की बातें तो हो रहीं हैं. जून में पिछली रोबोव्यवसाय (Robobusiness) सभा में माईक्रोसोफ्ट ने अपने रोबोटक सोफ्तवेयर की पहली झलक दिखाई. यह सोफ्टवेयर (Microsoft's Robotic Studio) शिक्षण के क्षेत्र में काम आयेगी. खाना बनाने वाला रोबोट 2007 में बाजार में आयेगा. रोबोवेटर, दाई रोबोट, बार में पेय पदार्थ डालने वाला रोबोट, गाना गाने वाले और बच्चों को पढ़ाने वाले रोबोट सब 2007 में तैयार होंगे. अगर यह प्लेन सफल होंगे तो 2015 और 2020 के बीच में हर दक्षिण कोरियाई घर में रोबोट होंगे. चौकीदार रोबोट 2010 तक तैयार होने चाहिये.
इन सब मशीन और मानव के मिलने से बनी नयी खोजों के साथ साथ ग्रेगोर बहुत से प्रश्न उठाते हें जैसे कि यह नयी सज्ञा वाली मशीने, इनके क्या अधिकार होंगे? मानव होने की क्या परिभाषा होगी जब अलग मशीन में आप की यादाश्त और दिमाग रखे हों? क्या बिना शरीर के केवल मानव संज्ञा को मानव कह सकते हैं? किसी वस्तू के जीवित या अजीवित होने की क्या परिभाषा होगी? एक मशीन से उसकी यादाश्त लेने के लिए या बदलने के लिए हमें किससे आज्ञा लेनी पड़ेगी? और जिन मानव शरीरों को मशीनों के भागों से जोड़ कर बदल दिया जायेगा वह कब तक मानव कहलाँएगे और मानव तथा मशीन की सीमा कैसे निर्धारित की जायेगी? बीमार मानव जो मशीन की सहायता से सोचता है क्या वह मानव कहलायेगा?

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इंडीब्लागीस 2006 पुरस्कार के लिए समीर जी को बहुत बहुत बधाई. रनरअप पुरस्कारों में मेरे साथी बिहारी बाबू को भी बधाई और आप सब पाठकों को धन्यवाद.

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुअत बधाई दीपक जी जो न कह सके के जरिए आप बहुत कुछ कहते आए हैं..कहते रहिए.. यहां ज्यादा क्या लिखें ब्लॉग पर एक पोस्टिंग में अपने विचार व्यक्त किए हैं

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  2. संजय बेंगाणी23 फ़रवरी 2007 को 8:09 am बजे

    शुरुआत में पढ़ते समय मामला इतना पैचिदा नहीं लगा मगर अंत में आपने लिखा कि,"
    बीमार मानव जो मशीन की सहायता से सोचता है क्या वह मानव कहलायेगा?"

    तो सोचने पर मजबुर हुआ की इस बारे में मैं क्या कहूँगा?

    वहीं मानव मस्तिष्क से संचालित मशीन को क्या कहेंगे?

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  3. रनर अप पुरुस्कार के लिये बधाई सुनील जी !

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  4. सुनिल जी,

    आपके द्वारा नित नयी-नयी और रोचक जानकारियाँ पाकर मन के तार तने रहते हैं, उनमें जंग लगने नहीं पाती।

    आपको जो कुछ मिला, उसी पर बधाई!!

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  5. आपके चिट्ठे के चुने जाने पर बहुत खुशी है ।

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  6. पुरुस्कार के लिये बहुत बहुत बधाई सुनील जी.

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  7. सुनीलजी पुरस्‍कार के बाद तो आप सेलेब्रिटी ब्‍लॉगर हैं पता नही ध्‍यान देंगे य नहीं पर आपको मैं टैग कर रही हूँ। यहां देखें

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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